उत्तर प्रदेश स्कूल पेयरिंग विवाद: मंत्री के निर्देश के बाद भी अफसर नहीं ले पाए निर्णय

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के स्तर पर स्कूलों के जोड़ीकरण को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। शिक्षा मंत्री के स्पष्ट निर्देश के बावजूद अब तक उन स्कूलों की पेयरिंग नहीं हटाई गई है, जो एक-दूसरे से काफी दूरी पर स्थित हैं। विभागीय अधिकारियों की धीमी कार्रवाई और अनदेखी से ना सिर्फ शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है।

क्या है मामला?

हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कुछ स्कूलों की जोड़ी बनाई गई थी, जिनमें एक-दूसरे से बहुत दूर स्थित स्कूलों को पेयर कर दिया गया। यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया था कि स्कूलों का प्रशासनिक ढांचा बेहतर हो और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके। लेकिन, ज़मीनी हकीकत में यह योजना कारगर नहीं साबित हो रही।

सूत्रों के अनुसार, प्रदेश भर में करीब 160 से अधिक स्कूलों की पेयरिंग की गई, जिनमें से कई स्कूलों के बीच 3 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी है। इससे शिक्षा व्यवस्था बाधित हो रही है और शिक्षकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बार-बार जाना पड़ रहा है।

स्कूलों के विलय पर छिड़ा विवाद: अधिकारी अभी भी जोड़ियों के गठन में व्यस्त

मिल रहा है विरोध और गड़बड़ी के संकेत

अधिकतम गड़बड़ी मलिहाबाद ब्लॉक में सामने आई है, जहां 33 स्कूलों को जोड़कर पेयरिंग की गई थी। इनमें से 20 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिनकी दूरी 1 किमी से अधिक है, जबकि कुछ मामलों में यह 3 किमी से भी ज्यादा है। यहीं से सबसे अधिक शिकायतें भी आई हैं।

कार्रवाई की प्रक्रिया और मंत्री का रुख

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह द्वारा दिए गए आदेश के बाद सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को 21 जुलाई तक स्कूलों की पेयरिंग पर पुनः विचार कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था। लेकिन, अधिकांश अधिकारियों द्वारा इस आदेश की अनदेखी की गई।

विभाग ने अब जिला समन्वयकों की टीम गठित कर क्रॉस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार को अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि जहां गड़बड़ी पाई जाएगी, वहां की जोड़ी को निरस्त कर दिया जाएगा और नई व्यवस्था लागू की जाएगी।

क्या होगा आगे?

शिक्षा विभाग अब प्रत्येक पेयरिंग की जांच कर रहा है और जहां आवश्यक होगा, वहां पुनः संशोधन किया जाएगा। छात्र हित में इस निर्णय को जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में शिक्षा सुधारों को लागू करना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है कि वे व्यवहारिक और सुदृढ़ भी हों।

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