उत्तर प्रदेश सरकार बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए राज्य भर में स्कूल भवनों की गुणवत्ता और स्थायित्व की गहन समीक्षा कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किए गए इस व्यापक अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा असुरक्षित या खतरनाक संरचना में पढ़ाई न करे।
राज्यभर में जर्जर स्कूलों की पहचान और कार्रवाई
राज्य में प्रारंभिक चरण के सर्वेक्षण के दौरान 781 से अधिक सरकारी स्कूलों को खतरनाक घोषित किया गया है। इन स्कूलों की स्थिति इतनी खराब पाई गई कि इनमें पढ़ाई जारी रखना बच्चों के जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता था। इसके बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 30 से अधिक स्कूल भवनों को गिराने का कार्य शुरू कर दिया है।
इस अभियान को स्थानीय विधायकों, सांसदों और जनप्रतिनिधियों का भी पूर्ण सहयोग मिल रहा है। विद्यालयों की सुरक्षा स्थिति की निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो जिलों में जाकर सुरक्षा ऑडिट कर रही है।
जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका
लखनऊ जिले के सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र की विधायक ने स्वयं पहल करते हुए जर्जर भवनों को गिराने का निरीक्षण किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि बच्चों के लिए सुरक्षित एवं बेहतर वातावरण सुनिश्चित किया जाए। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप क्षेत्र के हर विद्यालय को संरक्षित और सशक्त बनाना प्राथमिकता है।
ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से हो रहा कार्य
गांवों में स्थित कई प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की इमारतें वर्षों से मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुकी थीं। इन इलाकों में भी कार्य तेज कर दिया गया है। जेसीबी मशीनों की मदद से खतरनाक भवनों को ढहाया जा रहा है ताकि बच्चों के लिए कोई जोखिम न रहे।
कितने विद्यालय हैं प्रभावित
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ लखनऊ के मलिहाबाद, काकोरी, बीकेटी और सरोजनीनगर ब्लॉक में ही 50 से ज्यादा ऐसे विद्यालय चिन्हित किए गए हैं जहां की संरचना असुरक्षित पाई गई है। इनमें से 30 से अधिक को ध्वस्त किया जा चुका है और बाकी पर शीघ्र ही कार्य शुरू होने वाला है।
सरकार की प्राथमिकताएं और आगामी योजनाएं
राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया है कि जिन भवनों को गिराया गया है, वहां नई इमारतों का निर्माण प्राथमिकता से शुरू किया जाए। साथ ही, ऐसे सभी स्कूलों में जहां बच्चों की संख्या अधिक है, वहां वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था की जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
साथ ही, भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए एक स्थायी ‘सुरक्षा ऑडिट प्रणाली’ लागू की जा रही है। हर वर्ष भवनों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकतानुसार सुधार कार्य किया जाएगा।
निष्कर्ष
बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा यह कदम न केवल सराहनीय है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वास को भी मजबूत करता है। यदि आप किसी विद्यालय में पढ़ते हैं या आपके बच्चे किसी सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, तो संबंधित विद्यालय प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं और अपने क्षेत्र की सुरक्षा रिपोर्ट की जानकारी ले सकते हैं।