उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया एक अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है। वार्ड परिसीमन की आपत्तियों का निपटारा अब लगभग पूरा हो चुका है और जिलों में वार्डों की अंतिम सूची जारी करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह सूची 10 अगस्त तक सार्वजनिक की जाएगी, जिसके बाद पंचायत चुनाव के आरक्षण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का मसौदा रखा जाएगा, ताकि आरक्षण प्रक्रिया को संविधान के अनुरूप निष्पक्ष रूप से संचालित किया जा सके। इस आयोग का गठन खासतौर पर पंचायत चुनावों में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के निर्धारण के उद्देश्य से किया जाएगा।
आयोग के कार्यकाल और संरचना की तैयारी
सूत्रों के अनुसार आयोग में कुल पाँच सदस्य होंगे, जिनमें एक अध्यक्ष शामिल होगा। इस आयोग को न्यूनतम तीन महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी। आयोग के गठन का प्रस्ताव पहले ही तैयार कर लिया गया है और इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।
जिलों से अंतिम सूची 12 अगस्त तक
राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 12 अगस्त तक वार्ड परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट, एक्सेल शीट या सीडी के माध्यम से पंचायती राज निदेशालय को भेजें। इससे पहले बुधवार को जिलों में वार्डों की सूची का प्रकाशन कार्य शुरू किया गया, जो 10 तारीख तक जारी रहेगा।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति
वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया में प्राप्त आपत्तियों का निपटारा पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है। अब आरक्षण निर्धारण की बारी है, जिसके लिए आयोग की रिपोर्ट को आधार माना जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर वर्ग को उसका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की तैयारियां अब निर्णायक मोड़ पर हैं। परिसीमन की प्रक्रिया के बाद अब आरक्षण की बारी है, और इसके लिए पिछड़ा वर्ग आयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है। अगर सब कुछ तय समय के भीतर पूरा हो गया, तो जल्द ही पंचायत चुनावों की तारीखों की घोषणा भी हो सकती है।